यह स्वाभाविक है कि बच्चे इस वक्त बुरा महसूस कर रहे हैं। बच्चे दोस्तों, खेलने को और टीचर्स को मिस कर रहे हैं। यहां तक कि उन्हें कोविड 19 के चलते अपने करीबियों को खोने का भी दुख है। à¤¨à¥à¤¯à¥‚यॉर्क में चाइल्ड माइंड इंस्टीट्यूट में मेडिकल डायरेक्टर और चाइल्ड साइकेट्रिस्ट डॉक्टर हैरॉल्ड एस कोपलविच बताते हैं à¤•à¤¿, "यह असामान्य, अभूतपूर्व और असाधारण स्वास्थ्य संकट मानसिक रूप से सभी को प्रभावित कर रहा है।"

बच्चों को इन 4 उपायों के जरिए अवसाद से बाहर निकालें-

1.बच्चों को दुखी रहने दें

याद रखें कि बच्चों का इन हालात में दुखी होना सामान्य हैं और बच्चों को उनके एहसासों से बचाना पैरेंट्स की जिम्मेदारी नहीं है। à¤¸à¤¾à¤‡à¤•à¥‹à¤²à¥‰à¤œà¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ और पीएचडी मैडलीन लैवीन के मुताबिक, à¤†à¤ª बच्चों के बुरे एहसासों को मैनेज कर उनकी मदद कर सकते हैं, न कि उन्हें नकारने से और न ही भटकाने से। 

डॉक्टर लैवीन बताती हैं à¤•à¤¿ माता-पिता खुद को बच्चों का रक्षक समझते हैं, लेकिन यह तरीका बच्चों को और कमजोर बनाता है। हमें बच्चों को अपने एहसासों को मानकर और निराशाओं से जीतकर जीना सिखाना चाहिए।  

उन्होंने कहा कि जैसा की मैं सोचती हूं कि बड़ों के लिए यह जरूरी है कि वे अपने दुख को सहन कर सकें। ठीक इस तरह मुझे लगता है बच्चों को दुखी रहने देना जरूरी है। आप इतिहास के इस वक्त में दुखी कैसे नहीं हो सकते।

डॉक्टर लैवीन सलाह देती हैं à¤•à¤¿, अगर आपको बच्चा हताश नजर आए तो उसे ठीक न करें। मदद और सहानुभूति देने की कोशिश करें। बच्चे जो महसूस कर रहे हैं, उन्हें इस बारे में बात करने का मौका दें। 

2.बच्चों से बातचीत में आशावादी रहें

कभी-कभी पैरेंट्स बच्चों को बचाने के चक्कर में उन्हें जानकारी से दूर रखते हैं। हम अनुमान लगाते हैं कि बच्चों को यह जानने की जरूरत नहीं है कि इस वक्त क्या चल रहा है। à¤µà¥‰à¤¶à¤¿à¤‚गटन यूनिवर्सिटी में चाइल्ड साइकेट्रिस्ट डॉक्टर जोआन एल लूबी के मुताबिक à¤¯à¤¹ बहुत बड़ी गलती है, क्योंकि यह क्या हो सकता है को लेकर बच्चों की घबराहट बढ़ सकती है।

डॉक्टर लूबी के अनुसार, à¤®à¥à¤à¥‡ नहीं लगता कि पैरेंट्स को रुककर और समय लेकर हालात समझाने की जरूरत है। माता-पिता को कोरोनावायरस की चर्चा में पॉजिटिव बातों को शामिल करना चहिए।

3.रोज की आदतों में फिजिकल एक्टिविटी को शामिल करें

रुटीन बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे बच्चों को अच्छा महसूस होता है। à¤¡à¥‰à¤•à¥à¤Ÿà¤° कोपलविच के अनुसार, à¤•à¥‹à¤µà¤¿à¤¡ के बारे में सबसे दुखी करने वाली है कि, यह अनिश्चित है। ऐसे में रुटीन बनाने से जीवन में निश्चितता आएगी और पहले से अनुमान लगा सकेंगे। इससे आगे के बारे में सोचने में भी मदद मिलेगी। 

एक्सपर्ट्स इस कठिन वक्त में बच्चों के साथ शांत रहने की सलाह भी देते हैं। à¤¯à¥‚निवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग में चाइल्ड एंड एडोलसेंट साइकेट्रिस्ट डॉक्टर नील डी रेयान कहते हैं कि à¤¯à¤¹ वक्त कुछ नियमों को हटाने के लिए अच्छा है, क्योंकि आप कुछ नियमों को हटाकर बगैर नुकसान उठाए आराम कर सकते हैं। जैसे टीवी देखने का वक्त। à¤¡à¥‰à¤•à¥à¤Ÿà¤° कोपलविच के अनुसार ध्यान लगाना भी एक उपाय हो सकता है। 

बच्चों को चलाते रहें। à¤•à¥à¤²à¥€à¤¨à¤¿à¤•à¤² साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर ग्रेगोरी एन क्लार्क बताती हैं à¤•à¤¿ फिजिकल एक्टिविटी डिप्रेशन को खत्म करने और इससे बचने में मदद करती है। बच्चों के साथ थोड़ा घूमने बाहर जाएं। 

4.डिप्रेशन के लक्षण देखें तो एक्सपर्ट्स की मदद लें

डॉक्टर लूबी के अनुसार à¤œà¤¬ बच्चे क्लीनिकली डिप्रेस्ड होते हैं, तो वे चीजों में दिलचस्पी खोने लगते हैं। किसी भी एक्टिविटी का मजा नहीं ले पाने पर आप यह भरोसे के साथ कह सकते हैं कि यह बच्चे के लिए अबनॉर्मल है। यह सबसे आम लक्षण होता है। 

इसके अलावा दूसरे भी लक्षण होते हैं, जैसे बच्चा पहले से ज्यादा या कम खाने और सोने लगे। इसके साथ ही वे थोड़े शांत और चिड़चिड़े हो जाते हैं। à¤¡à¥‰à¤•à¥à¤Ÿà¤° कोपलविच बताते हैं à¤•à¤¿ अगर ऐसा कुछ दो हफ्तों से ज्यादा रहता है या रोज हो रहा है, तो यह चिंता की बात है। 

अगर आप चिंतित हैं तो प्रोफेशनल की मदद लें। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बच्चों में डिप्रेशन कोरोनावायरस के कारण बढ़ रहा है, इसलिए कुछ बच्चों को ज्यादा मदद की जरूरत है। आप पीडियाट्रीशियन की सलाह ले सकते हैं। यह नजदीकि लोकल मेंटल हेल्थ क्लीनिक, हॉस्पिटल की मदद भी ले सकते हैं।